- अल्पसंख्यकों के लिए स्वरोजगार योजना
- मुख्यमंत्री हुनर योजना
- मौलाना आजाद एजुकेशन फाईनेन्स फाउन्डेशन योजना
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम की-टर्मलोन योजना
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम की-शिक्षा ऋण योजना
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम की- वोकेशनल ट्रेनिंग/कौशल से कुशलता
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम की-विरासत ऋण योजना
उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक कल्याण तथा वक्फ विकास निगम परिचय
परिचय:-
उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक कल्याण
तथा वक्फ विकास निगम, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग उत्तराखण्ड सरकार का उपक्रम है।
इस निगम का गठन 06 जनवरी, 2005
को कम्पनी अधिनियम 1956 के सैक्शन 25 के अन्तर्गत किया गया।
निगम की अधिकृत पूंजी 10 करोड़
है।जिसके सापेक्ष 804.90 लाख चूकता अंशपूंजी है
उत्तराखण्ड शासन द्वारा इस निगम
को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम का राज्य चैनेलाइजिंग एजेन्सी नामित किया
गया है।
लक्षित समूह:- अल्पसंख्यकों में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध ,पारसी एवं जैन समुदाय सम्मिलित हैं।
अ) राज्य निगम की योजनायें:-
1) अल्पसंख्यक स्वरोजगार योजना:-
इस योजना में निगम द्वारा रू0 10.00 लाख तक का ऋण बैंको के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है, जिसमें योजना का 60 प्रतिशत बैंक ऋण, 25 प्रतिशत अनुदान एवं 15 प्रतिशत लाभार्थी द्वारा स्वयं का अंश सम्मिलित होता है। समस्त योजनाओं का चयन जिला स्तर पर चयन समिति के माध्यम से किया जाता है। योजना हेतु पात्र अभ्यर्थी की उम्र 18 वर्ष से 55 वर्ष के मध्य होनी चाहिये। अनुदान की राशि बैंक इन्डेड का प्राविधान है।
2) मुख्यमंत्री हुनर योजना:-
इस योजनाओं के अन्तर्गत प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु प्रशिक्षार्थियों को अल्पसंख्यक समुदाय से सम्बन्धित होना चाहिये। लाभार्थी की आयु 18-45 वर्ष होनी चाहिये। प्रशिक्षार्थी की शैक्षिक योग्यता पारम्परिक प्रशिक्षण हेतु कम से कम पांचवी/साक्षर होना चाहिये। प्रार्थी की शिक्षा राजकीय स्कूलों से हुई हो अथवा मदरसों से दोनों मान्य होगीं। जबकि सूचना प्रौद्योगिकी के व्यवसायों के प्रशिक्षण हेतु शैक्षिक योग्यता कम से कम हाईस्कूल उत्तीर्ण होना चाहिये। प्रार्थी की परिवार की वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्र में रू0 3,50,000 एंव शहरी क्षेत्र में रू0 4,50,000 तक होनी चाहिये। प्रार्थी उत्तराखण्ड का स्थायी निवासी होना चाहिये। प्रशिक्षार्थियों को प्रशिक्षण के समयानुसार छात्रवृति/स्टाईपन्ड दिये जाने का भी प्राविधान है। इस योजना में प्रशिक्षार्थियों की 70 प्रतिशत प्लेसमेन्ट अनिवार्य है।
3) मौलाना आजाद एजुकेशन फाईनेन्स फाउन्डेशन योजनाः-
इस योजना के अन्र्तगत उत्तराखण्ड राज्य के गरीब अल्पसंख्यक छात्र/छात्राओं को व्यवसायिक, तकनीकी एवं मेडिकल शिक्षा हेतु ब्याज मुक्त ऋण अधिकतम रू0 5.00 लाख तक दिये जाने का प्राविधान किया गया है। जिसकी वापसी सेवा नियोजित होने या शिक्षा पूर्ण होने के 6 माह के उपरान्त, से अगले तीन वर्षो में की जायेगी। पात्रता-अभ्यर्थी 12वीं उत्तीर्ण हो, आयु सीमा 18-35 वर्ष होनी चाहिए, परिवार की आय रू0 2.50 लाख से अधिक न हो।
ब) राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम की योजनाएं:-
1. टर्मलोन योजना (सावधिक ऋण योजना):-
सावधिक ऋण योजना के अन्तर्गत रु0 20 लाख तक की परियोजना लागत पर विचार किया जाता है। परियोजना लागत का 90 प्रतिशत राष्ट्रीय निगम ऋणांश, 5 प्रतिशत राज्य निगम ऋणांश तथा शेष 5 प्रतिशत लाभार्थी द्वारा वहन किया जाता है। राष्ट्रीय निगम के ऋणांश पर ब्याज की दर 6 प्रतिशत और राज्य निगम के द्वारा दिये जाने वाले ऋणांश की ब्याज दर 7 प्रतिशत है।
2. शिक्षा ऋण योजना:-
अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को राष्ट्रीय निगम के माध्यम से विभिन्न व्यवसायिक शिक्षा हेतु 3 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराता है। जिसमें प्रति वर्ष रू0 3,00,000/- या अलग-अलग कोर्स की दर से व 5 वर्ष की व्यवसायिक शिक्षा हेतु अधिक से अधिक रू0 15,00,000 लाख तक का ऋण उपलब्ध कराता जाता है। स्वीकृत ऋण लागत का 90 प्रतिशत राष्ट्रीय निगम ऋणांश, 5 प्रतिशत राज्य निगम ऋणांश तथा शेष 5 प्रतिशत लाभार्थी द्वारा वहन किया जाता है।
3. लघु ऋण योजना:-
राष्ट्रीय निगम इस योजना में चयनित और प्रमाणित स्वयंसेवी संस्थाओं तथा स्वयं सहायता समूह के माध्यम से अल्पसंख्यक वर्ग के ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्र के गरीबों में गरीब लोगों को लघु वित्त ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इसमें पहले लाभार्थी को स्वयं सहायता समूह गठित करना पडता है और प्रभावी बचत की नियति डालनी पडती है। लघु ऋण योजना के अन्र्तगत प्रत्येक लाभार्थी को अधिकतम रू0 1,00,000/-तक का ऋण दिया जाता है। जिसमें परियोजना लागत का 90 प्रतिशत राष्ट्रीय निगम ऋणांश, 5 प्रतिशत राज्य निगम ऋणांश तथा शेष 5 प्रतिशत लाभार्थी द्वारा वहन किया जाता है।
4. वोकेशनल ट्रेेनिंग/कौशल से कुशलता (व्यवसायिक प्रशिक्षण):-
अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों को उनकी दक्षता बढ़ाने हेतु कौशल वृद्धि प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। योजना के अन्तर्गत स्थानीय प्रतिष्ठित प्रशिक्षण संस्थान के माध्यम से व्यवसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस प्रशिक्षण की अवधि 6 माह से एक वर्ष तक होती है। इसमें प्रशिक्षणार्थियांें को राष्ट्रीय निगम द्वारा छात्रवृत्ति दी जाती है। प्रशिक्षण संस्थाओं के प्रस्ताव राज्य के माध्यम से स्वीकृति उपरान्त राष्ट्रीय निगम को प्रेषित किये जाते हैं। प्रशिक्षण दायी संस्थाओं से न्यूनतम 70 प्रतिशत प्लेसमेन्ट की शर्त निर्धारित है।
5. विरासत ऋण योजना:-
अल्पसंख्यक समुदाय के विभिन्न कारीगरों हुनरमंदों को अपने कौशल को बढाते हुए आर्थिक विकास किये जाने हेतु योजना का संचालन किया जाता है। जिसमें अधिकतम रू0 10.00 लाख तक का ऋण राष्ट्रीय निगम के माध्यम से प्रदान किया जाता है। जिसमें पुरूषों हेतु 5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज एवं महिलाओं को 4 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दरें निर्धारित हैं।
उद्देश्य:-
अल्पसंख्यक वर्ग के परिवारों
के आर्थिक उन्नयन हेतु स्वरोजगार योजनाओं का संचालन करना।
रोजगार के लिये बैंकों के माध्यम
से ऋण उपलब्ध कराना।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास
एवं वित्त निगम से सस्ती ब्याज दर में वित्तीय संसाधन प्राप्त कर टर्मलोन की सुविधा
उपलब्ध कराना।
अल्पसंख्यक वर्ग के शिक्षित
बेरोजगारों को कम्प्यूटर आदि में प्रशिक्षण प्रदान कर उनकी कौशल वृद्धि करना।
मौलाना आजाद एजुकेशन फाउन्डेसन
फाइनेन्स स्कीम के अन्र्तगत अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने
हेतु
ब्याज मुक्त ऋण देना।
राष्ट्रीय निगम के माध्यम से
तकनीकी एवं व्यवसायिक शिक्षा हेतु ऋण उपलब्ध कराना।।
अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं
को प्रशिक्षण उपलब्ध कराना।
समस्त योजनाओं के अन्तर्गत ऋण प्राप्ति की प्रक्रिया:-
निगम की योजनाओं का जनपद स्तर पर जिला समाज कल्याण अधिकारी/जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी पदेन जिला प्रबन्धक, उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक कल्याण तथा वक्फ विकास निगम के द्वारा किया जाता है। ऋण प्राप्ति हेतु इच्छुक अल्पसंख्यक समुदाय के पात्र लाभार्थी जनपदीय कार्यालय में निर्धारित प्रारूप पर आवेदन पत्र प्रस्तुत करेगा। जिला प्रबन्धक ऐसे समस्त अभ्यर्थियों का साक्षात्कार के उपरान्त सम्बन्धित जनपद को आवंटित लक्ष्य के अनुरूप पात्र एवं उपयुक्त अभ्यर्थियों का चयन कर सूची निगम मुख्यालय को प्रेषित करते हुए धनराशि की मांग करेगा। बैंकेबुल योजना में ऐसे चयनित अभ्यर्थियों के आवेदन पत्र ऋण स्वीकृत हेतु बैंकों को प्रेषित किया जायेगा। बैंक की स्वीकृति के उपरान्त राष्ट्रीय निगम अंश अथवा राज्य निगम के ऋणांश की मांग निगम मुख्यालय से करेगा।